गल्लु सियार का लालच 





मल्लू और गल्लु सियार भाई  थे मल्लू सीधा सादा और भोला था वह बड़ा ही नेकदिल और दयावान था दूसरी और गल्लु एक नंबर का धूर्त और चालबाज सियार था वह किसी भी भोले भाले जानवर को अपनी चालाकी से बहलाकर उसका काम तमाम कर देता था 

एक दिन गल्लु सियार जगल मे घूम रहा था की उसे रास्ते मे एक चादर मिली ठंड  के दिन नजदीक थे इसलिए उसने चादर को उठाकर रख लिया उसके बाद वह घर की और चल पडा 

अगले दिन गल्लु सियार मल्लू के घर गया ठंड की वजह से दरवाजा खोला जैसे ही गल्लु अंदर जाने लगा तो मल्लू ने दरवाजा बंद कर दिया गल्लु को वह अपने भाई की हरकत बहुत बुरी लगी उसे अपने भाई पर बड़ा क्रोध आया 

भाई के घर से आने के बाद गल्लु नहाने के लिए नदी पर गया उसको देख कर बड़ा आश्चर्य हो रहा था की आज मोटे मोटे जानवर बड़े बर्फीले होकर बिना किसी डर के उसके पास से गुजर रहे थे उसके पानी मे घुसने से पहले जैसे ही चादर को उतारा उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा सारे छोटे मोटे जानवर अपनी अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे चोरों और हाहाकार मच गया गल्लु को लगा की जरूर इस चादर का चमत्कार है उसके मन मे विचार आया की कही  यह जादुई तो नहीं जिसको ओढ़ते ही वह दिखता नहीं है तभी उसे याद आया की मल्लू ने भी दरवाजा खटखटाते की आवाज सुनकर खोला और एका एक बंद  भी कर लिया मानो दरवाजे परकोई हो ही नहीं 


अब उसका शक यकीन मे बदल गया और उसे मल्लू पर किसी तरह का क्रोध भी नहीं रहा वह नहाकर जल्दी से जल्दी अपने भाई मल्लू सियार के पास पहुचना चाहता था अत लंबे डग भरता हुआ उसके घर जा पहुचा उसने मल्लू को चादर दिखाई और प्रसन्न होते हुय बोला :-

देखो भाई इस जादुई चादर को ओढ़ने वाला दिखता ही नहीं है मेने सोचा है की क्यों न इसकी मदद से मे जंगल  के राजा  को मारकर खुद जंगल  का राजा बन जाऊ अगर तुम मेरा साथ दोगे तो मे तुम्हें महामंत्री का पद दूंगा 

 अन्य कहानिया 

भाई  गल्लु मुझे महामंत्री पद का कोई लालच नहीं यदि तुम मुझे राजा भी बना दोगे तो भी नहीं बानुगा क्योंकि अपने स्वामी के साथ धोखा नहीं कर सकता हु मे तो तुम्हें भी यही सलाह दूगा  की तुम्हें इस चादर का दूर उपयोग नहीं करना चाहिए 

अपनी सलाह अपने पास ही रखो मे भी कितना मूर्ख हु जो इस काम मे  तुम्हारी सहायता लेने की सोच बैठा गुस्से मे भुनभुनाते हुए गल्लु सियार वहा से चला गया पर मल्लू सोच मे डूब गया 

अगर गल्लु जंगल  का राजा बन बैठा तो अनर्थ हो जायगा एक सियार को जंगल  का राजा देख कर पड़ोसी राज्य हम पर आक्रमण कर देगा शक्ति शाली राजा के अभाव से हम अवश्य ही हार जायगे और हमारी स्वतंत्रता खतरे मे पड जायगी यह सोच कर मल्लू सियार उठा और उसने मन ही मन गल्लु की चाल को असफल बनाने की एक योजना बना डाली 


रात के समय जब सब सो रहे थे तब मल्लू अपने घर से निकला और चुपचाप खिड़की से रास्ते गल्लु के मकान मे घुस गया उसने देखा की गल्लु की चादर उसके पास रखी हुई पड़ी है उसने उसे  बड़ी ही सावधानी से उठाया और उस स्थान पर वैसी ही एक अन्य चादर रख दी जो की बिल्कुल वैसी थी इसके बाद वो अपने घर आ गया 

सुबह उठाकर नहा धो कर गल्लु सियार शेर को मारने के लिए चादर ओढ़कर प्रसन्नतापूर्वक उसकी मौत की और चल पड़ा आज उसके पाँव धरती पर नहीं पड रहे थे आखिर वो अपने आप को भावी राजा समझ रहा था जंगल  मे पहुच कर उसने देखा की शेर अभी तक सो रहा है गल्लु ने गर्व से एक लात मारी और उसको जगा कर गालिया देने लगा शेर चोक कर उठ गया वह भूखा तो था ही उपर से गल्लु ने क्रोध भी दिला दिया सो उसने एक बार मे गल्लु का काम तमाम कर दिया 

मल्लू सियार को जब अपने भी की यह खबर मिलि तो उसको बड़ा दुख हुआ पर उसने सोचा की इसके अलावा जंगल की स्वतंत्रता को बचाने का कोई रास्ता भी नहीं था उसकी आखों मे आसू आ गया वह उठा और उसने उस जादुई चादर को जला डाला ताकि वह किसी और के हाथों मे न पड जाय 


मल्लू  ने अपने भाई की जन दे कर अपने राजा के प्राण बचाए थे और जंगल की स्वतंत्रता भी 

दोस्तों जो मल्लू का कार्य कैसा लगा कमेन्ट बॉक्स मे जरूर लिखे