जो कल थे वो आज नहीं है
@खेत_सिंह_सोलंकी ( हिन्दी प्रेमी )😍
मैंने मेरे जीवन में कवि व कवि की कविताओं को आदर्श माना है उदाहरण के लिए मैं आपके सामने
एक अटल कवि का उदाहरण प्रस्तुत करूंगा इसका नाम है अटल बिहारी वाजपेई है जिनके नाम में
ही अटल है वास्तव में एक अटल थे उनकी हर कविताएं मुझे बहुत ही अच्छी वह प्यारी लगती हैं
जिसमें से मुझे एक कविता बहुत ही अच्छी लगती है जो कल थे वह आज नहीं है जो आज हैं वह
कल नहीं होंगे होने ना होने का कम इसी तरह चलता रहेगा हम हैं हम रहेंगे यह भ्रम भी सदा
पलता रहेगा आप सभी ने उनका नाम एक नेता के रूप में सुना होगा पर मैंने कभी भी अटल बिहारी
वाजपेई को नेता के रूप में नहीं समझा मैं उनको एक कवि के रूप में समझा इसीलिए मुझे उनकी
कहानी बहुत ही अच्छी लगती है..................................
कविता की पंक्तियां
"जो कल थे वो आज नहीं हैं" - अटल बिहारी वाजपेयी
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जो कल थे,
वे आज नहीं हैं।
जो आज हैं,
वे कल नहीं होंगे।
होने, न होने का क्रम,
इसी तरह चलता रहेगा,
हम हैं, हम रहेंगे,
यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।
सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है,
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है।
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं,
शेष सब समझ का फेर,
बुद्धि के व्यायाम हैं।
किन्तु न होने के बाद क्या होता है,
यह प्रश्न अनुत्तरित है।
प्रत्येक नया नचिकेता,
इस प्रश्न की खोज में लगा है।
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है।
शायद यह प्रश्न, प्रश्न ही रहेगा।
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके,
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान,
एक दिन, अवश्य ही
रुद्ध द्वार खोलेगा।
प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।
@तस्वीर ( अटल बिहारी वाजपेई )
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